Synergy
Bits and pieces of life, thoughts and experiences.
Tuesday, May 28, 2013
मुशायरा -
नींद की दस्तक से पहले
हर रात,
एक मुशायरा चलता है
इधर से हम कुछ बोलते हैं
उधर से वो
अक्सर, इन सब के दरमियाँ
,
हम दोनों खामोश हो जाते हैं
फिर मुस्कुराती हुई
नज़रों से
ख़ामोशी को कहते हैं -
इर्शाद!
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)