Tuesday, March 6, 2012

खुद देख लो

अक्सर मैं इस सोच में डूब जाता हूँ
कि ज़िन्दगी अगर थोड़ी सी अलग होती
तो क्या होता?

मैं देर तक सोचता,
जवाब ढूँढने के फ़िराक में
पर ज़िन्दगी भी साली बहुत तेज़ तरार है

मेरे सवाल को चकमा दे कर
कब गायब हो जाती,
पता भी न चलता

कुछ अलग करने की चाह,
दोस्त बन कर ज़िन्दगी के साथ
बैठ कर चाय पीती, बतियाती, और मुझे चिढ़ाती

कहती, पहले ज़िन्दगी को समझो
फिर उसके साथ छेड़-खानी करना
फिर उसमें अपनी कलाकारी दिखाना

ज़िन्दगी को जानने के लिए
जुर्रत से ज़्यादा अक्ल की ज़रूरत है
और अक्ल से ज़्यादा रूह की सुनने की

क्यूंकि जब अपने रूह से रूबरू होगे,
तो पता चलेगा
तुम्हारी ज़िन्दगी अलग ही तो है,

अलग ही तो है, खुद देख लो
अलग ही तो है, खुद देख लो
खुद देख लो.

1 comment:

Unknown said...

nice wrk...good to see in hindi as well...keep up...:)